बहुधा स्त्रियों को समानता का दर्जा या आरक्षण देने की बातें सुनायी देती हैं,इस विषय में मैं यही कहना चाहूंगी कि बराबरी किसी के देने से नहीं हासिल हो सकती,इस हेतु स्वयं ही जागरूक होना पड़ेगा जो भी चीज हमें मांगने से या किसी की क्रिपावश मिलती है ,उसके लिए हमें सदा ही दूसरे के अधीन रहना पड़ता है या फिर अगले की सुविधा के अनुसार चलना पड़ता है.स्त्रियों को समाज में सम्मानजनक स्थान दिलाने के लिए स्वयं स्त्रियों को ही पहल करनी होगी.कुछ छोटे छोटे प्रयास करने होंगे,अपने व्यक्तिगत स्वार्थों और सुखों या कहा जाये काहिली को छोड़ कर समाज और परिवार की अन्य स्त्रियों के प्रति अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी.शायद आप लोग सोच रहे होंगे कि एक औरत इतने बड़े मसले पर क्या कर सकती है लेकिन मत भूलिए कि बूंद बूंद कर के ही घट भरता है एक छोटा सा प्रयास बड़ी सफलता का आधार होता है.इस विषय में मैं आगे फिर कभी विस्तार से चर्चा करूंगी.
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