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my name is pratibha,it means inteligence.I believe that one should be hard working.by hard work you can get inteligence and success.

गुरुवार, 28 अक्तूबर 2010

परिवार और स्त्री

परिवार में  स्त्री का एक विशेष स्थान होता है ,ये बात हम सभी जानते हैं और मानते भी हैं,लेकिन केवल सामाजिक तौर पर. व्यक्तिगत तौर पर अगर आप किसी भी घर में झांक कर देखेंगे तो कहीं तो अपना पति ही कहता मिल जायेगा ,हमें तुम्हारी कोई जरुरत नहीं है ,हम अकेले भी सब सम्हाल सकते हैं ,कहीं सासु माँ सार्वजानिक तौर पर ये घोषणा करती हुई मिल जायेंगी ,अरे ये करती ही क्या हैं ये तो दिन भर सोती ही रहती हैं ,किसी घर में अपने  माता-पिता के मुंह से ही सुनने को मिल जाता है क़ि अरे बेटी की शादी की जिम्मेदारी न होती तो अब तक हमने मकान बनवा लिया होता या गाडी खरीद ली होती आदि.......  कहने का आशय ये हैकि जन्म से ले कर ही नहीं बल्कि माँ के गर्भ में आने के साथ ही स्त्री को नकारात्मक शक्तियों से जूझना पड़ता है ,इस नकारात्मकता के साथ जीने के लिए मजबूर होना पड़ता है किशायद उसका जन्म ही व्यर्थ में हुआ है. एक स्त्री की सबसे बड़ी उपलब्धि तो यही है क़ि दुनिया भर की नकारात्मक बातों केबीच कुछ प्रोत्साहन या सहारा कहीं से पाते हुए वह अपने व्यक्तित्व को सम्हालती है.सुना है क़ि अफ्रीका के जंगलों में आदिवासियों को जब किसी पेड़ को काटना होता है तो वे उसे काटते नहीं हैं बल्कि उसके पास खड़े हो कर रोज उसे गालियाँ  देने लगते हैं कुछ दिनों में पेड़ खुद ही सूख कर गिर जाता है .इस उदाहरण से हम आसानी से समझ सकते हैं क़ि किसी भी सजीव प्राणी के लिए नकारात्मकताओं  के बीच में जीवित रहना भी कठिन है. लेकिन स्त्री जाति ने सभी विषमताओं  से जूझते हुए न केवल अपना जीवन जिया है बल्कि एक भी मौका मिलते  ही खुद को पुरुषों  से बेहतर या बराबर  सिद्ध  भी किया है.सलाम है उस स्त्री जाति को .हम अपनी बात आगे भी जारी रखेंगे अभी समय इजाजत नहीं दे रहा है ........   

गुरुवार, 21 अक्तूबर 2010

अपनी सही भूमिका पहचानिए

परिवार के निर्माण में पालन पोषण आदि के बारे में सभी स्त्रियाँ चिंतित रहती हैं लेकिन क्या वो अपनी  सही  भूमिका   पहचानती हैं ? इस बारे में वास्तव में मैं निश्चित नहीं हूँ ,क़ि सचमुच हर स्त्री अपनी जिम्मेदारी अपनी मानसिकता के द्वारा समझ पा रही है ? या दूसरों के द्वारा थोपी गयी जिम्मेदारियों या कार्यों को पूरा कर के ही ये सोच कर निश्चिन्त हो जाती है क़ि मै अपने कर्तव्य ठीक से पुरे कर रही हूँ .आज मैंने व्यर्थ ही ये मुद्दा नहीं उठाया है बल्कि ये एक गहरे चिंतन का नतीजा है .मैंने महसूस किया है क़ि हम अपनी बालिकाओं पर या घर की स्त्रियों पर इतनी ज्यादा जिम्मेदारियां या कहा जाये काम का बोझ डाले रहते हैं,क़ि वे स्वतन्त्र रूप से समाज या परिवार में अपनी भूमिका के बारे में सोच ही नहीं पाती हैं .
                                मैं इस बारे में कोई भाषण देना नहीं चाहती ,बस इतना चाहती हूँ क़ि सभी बहने जरुर एक बार अपने दिमाग पर जोर ड़ाल कर यद् करें क़ि क्या वो अपनी खुशी से अपनी जिम्मेदारी समझ कर पुरे जोश से अपना जीवन बिता रही हैं या फिर सिर्फ जल्दी-जल्दी दूसरों  को संतुष्ट कर के अपना कीमती समय बर्बाद ही कर रही हैं इस बारे में जरुर सोचियेगा ,कुछ दिन मैं इसी वषय पर रहूंगी चर्चा करते रहेंगे नमस्कार ...... 

बुधवार, 13 अक्तूबर 2010

नारी का महत्त्व समझिये

राष्ट्र मंडल खेलों में भारत का विजय-अभियान जारी  है   .आज सुबह तक ३२ गोल्ड-मेडल जीते जा चुके थे,हमारी महिलाओं नेभी पदकों की इस दौड़ में पुरुषों का बराबर से साथ दिया है.जब भी देश के सम्मान की बात आती है,कोई मुसीबत सामने आती है हमारे देश की महिलाऐं हमेशा से बढ़-चढ़ कर अपना योगदान देती आयी हैं,और आगे भी देती रहेंगी,किन्तु शांति काल में हम इन महानता पूर्ण कार्यों को नकार कर फिर से स्त्रियों को समाज के बनाये हुए नियमों के सांचे में बैठाने की कोशिश करने लगते हैं ,क्या ये सब कभी बदलेगा?

शुक्रवार, 1 अक्तूबर 2010

घर का द्वार

घर का द्वार किस दिशा में हो,इस विषय को ले कर मकान बनवाने वाले हर आदमी केमन में सवाल उठते रहते हैं .एक सज्जन ने वास्तु आधार पर अपना मकान बनवाया और संतुष्ट भी थे,होते भी क्यों न जब से घर में शिफ्ट हुए थे ,सभी के स्वास्थ्य में सुधार भी हुआ और चारों  और से शुभ समाचार भी मिल रहे थे उसी समय कोई पुराना मित्र उनके घर आया ,उसने बताया क़ि घर  का द्वार दक्षिण दिशा में होना तो अशुभ होता है ,अब वह बड़े ही परेशान हो उठे .मुझे ये बात पता चली तो गुस्सा भी आया और हंसी भी.  मैंने उनसे पूछा क़ि आपको  जब सभी कुछ ठीक लग रहा है तो इतना परेशान होने की क्या जरुरत है यदि दक्षिण-पश्चिम में द्वार हो तो अशुभ माना जाता  है किन्तु यदि आपका प्लाट दक्षिण मुखी है ,तो दक्षिण या दक्षिण पूर्व इन दोनों ही दिशाओं में द्वार रखा जा सकता है और इसके शुभ फल भी मिलते हैं. वास्तु का अर्थ है बसना या निवास करना और वास्तु के सिधांत भी मनुष्य सुख से रह सके इसलिए हैं,ये नियम सभी लोगों पर समान रूप से लागु होते हैं इसलिए दक्षिण में द्वार होने पर मत घबराइए ये आपको हमेशा ताजगी से भरा रखेगा.कोई भी वास्तु सुधार करने से पहले बस सही दिशा का ज्ञान जरुर कर लें