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my name is pratibha,it means inteligence.I believe that one should be hard working.by hard work you can get inteligence and success.

सोमवार, 26 जुलाई 2010

समानता का दर्जा.

बहुधा स्त्रियों को समानता का दर्जा या आरक्षण देने की बातें सुनायी देती हैं,इस विषय में मैं यही कहना चाहूंगी कि बराबरी किसी के देने से नहीं हासिल हो सकती,इस हेतु स्वयं ही जागरूक होना पड़ेगा जो भी चीज हमें मांगने से या किसी की क्रिपावश मिलती है ,उसके लिए हमें सदा ही दूसरे के अधीन रहना पड़ता है या फिर अगले की सुविधा के अनुसार चलना पड़ता है.स्त्रियों को समाज में सम्मानजनक स्थान दिलाने के लिए स्वयं स्त्रियों को ही पहल करनी होगी.कुछ छोटे छोटे प्रयास करने होंगे,अपने व्यक्तिगत स्वार्थों और सुखों या कहा जाये काहिली को छोड़ कर समाज और परिवार की अन्य स्त्रियों के प्रति अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी.शायद आप लोग सोच रहे होंगे कि एक औरत इतने बड़े मसले पर क्या कर सकती है लेकिन मत भूलिए कि बूंद बूंद कर के ही घट भरता है एक छोटा सा प्रयास बड़ी सफलता का आधार होता है.इस विषय में मैं आगे फिर कभी विस्तार से चर्चा करूंगी.

शुक्रवार, 23 जुलाई 2010

वास्तु और धार्मिक समुदाय.

वास्तु को किसी धर्मं या समुदाय से जोड़ कर देखना उचित नहीं है .वास्तु शास्त्र सभी धर्मों एवं समुदायों के लिए समान महत्व रखता हैजिस प्रकार प्रकृति समान रूप से सभी प्राणियों पर अपने संसाधन हवा पानी आदि लुटाती है उसी प्रकार वास्तु के नियम भी मानव मात्र के लिए समान हैं.वास्तुशास्त्र मानवजाति   को लाभ पहुंचाता है,चाहे वह किसी भी धर्म या समुदाय के हों.

गुरुवार, 22 जुलाई 2010

वास्तु और हमारा जीवन.

जीवन में खुशहाली और तरक्की हम सभी चाहते हैं,इस हेतु हम कर्म करते हैं,मनचाहा फल न मिलने पर कभी तो हताश हो जाते हैं और कभी पूजा पाठ आदि कर के अपना लक्ष्य पाने में लग जाते हैं.क्या हम अपने कर्मों के अनुसार अच्छी सफलता पा सकते हैं?बिलकुल पा सकते हैं अगर हम अपने जीवन में वास्तु को समायोजित कर लें.हर मनुष्य के पास तीन तरह का भाग्य होता है प्रथम ईश्वर से मिला भाग्य जिस पर उसका कोई नियंत्रण नहीं होता एक ही समय पर एक बच्चे का जन्म महलों में होता है और दुसरे का झोपड़े में इस पर किसी का वश नहीं यह जन्म से प्राप्त भाग्य है. द्वितीय तरह का भाग्य मनुष्य अपने कर्मों से बनाता है जो व्यक्ति जिस तरह के कर्म करता है वैसी ही सफलता पा सकता है,तृतीय तरह का भाग्य पृथ्वी द्वारा प्रदत्त होता है,इस तरह का भाग्य मनुष्य वास्तु सम्मत घर में रह कर प्राप्त कर सकता है.वास्तु हमारे भाग्य को बदल तो नहीं सकता किन्तु कम सुख को अधिक सुख में और अधिक दुःख को कम दुःख में अवश्य बदल सकता है.आज के दौर के इस भागमभाग और प्रयोगिता भरे जीवन में अगर आप अपने जीवन को कुछ बेहतर बनाना चाहते हैं ,तो मेरा आग्रह है वास्तु को अवश्य अपनाएं.

बुधवार, 21 जुलाई 2010

wastu aur ham

मानव शरीर पञ्च तत्वों से मिल कर बना है.पृथ्वी, जल ,अग्नि,वायु और आकाश.वास्तु केमाध्यम से हम इन पञ्च तत्वों का जीवन में सामंजस्य बैठा कर लाभ उठा सकते हैं.नारी इस संसार को विधाता का अनुपम वरदान है.आज की स्त्री शिकक्षित है,कामकाजी है किन्तु महिला चाहे कामकाजी हो या घरेलु उसका अधिक समय घर की चिंता करते हुए ही बीतता है.अगर कोई स्त्री वास्तु के अनुरूप अपने घर सजती संवारती है तो इसमें वह बिना कुछ खर्च किए बहुत लाभ उठता सकती है.मैं एक वास्तु शास्त्री हूँ और मैं अपने इस ज्ञान के द्वारा अपनी सभी बहनों को लाभान्वित करना चाहूंगी.इस हेतु मैं आप लोगों को जब भी अवकाश होगा कुछ टिप्स देते रहना चाहूंगी.

शुक्रवार, 16 जुलाई 2010

घर का वास्तु

घर का उत्तर पूर्व सदा खाली छोड़ें इस दिशा में प्रतिदिन एक धूपबत्ती जलाने से भी सुखद परिणाम पाए जा सकते हैं.वास्तु के नियमों में चाहे वह साधारण हों या किसी विशेष इच्छा की पूर्ति के लिए हों सभी में दिशाओं का विशेष महत्व होता है,अतेव सभी से निवेदन है कि कोई भी उपाय करने से पहले दिशा की जाँच अवश्य कर लें