घर में रहने वाली महिलाओं के लिए माना जाता है कि उनके पास काफी समय होता है घर का काम कुछ ही घंटों में समाप्त कर शेष समय में वे आराम कर सकती हैं या अपना मनोरंजन कर सकती हैं ,लेकिन व्यवहारिक रूप से ऐसा संभव नहीं हो पाता है.घर पर रहने वाली महिलाओं से परिवारीजनों की कुछ अधिक ही अपेक्षाएं रहती हैं ,चाहे वह पति और बच्चे हो या फिर अन्य ससुरालीजन हों.परिवार के सभी सदस्यों की यही सोच होती है कि सारा दिन घर पर रह कर क्या हमारे लिए कुछ भी समय नहीं निकाला जा सकता .लेकिन नौकरी करने वाली महिलाओं को एक निश्चित समय पर घर से निकलना होता है ,इसलिए घर के सदस्य ही नहीं बल्कि नौकर भी उनके समय अनुसार काम करने का प्रयास करते हैं .मेलजोल वाले अन्य लोग तथा पड़ोसी भी किसी अवसर पर उनकी गैरमौजूदगी का बुरा नहीं मानते ,इस तरह की कुछ सहूलियतें मिल जाने से वे अपने समय का बेहतर उपयोग कर पाती हैं अधिकतर गृहणियों पर बच्चों की देखभाल और उनकी पढाई का ,घर की पूरी व्यवस्था संभालने का तथा माता पिता की चिकित्सा तथा देखभाल का इतना अधिक भार हो जाता है कि उन्हें अपनी मुलभुत दैनिक जरूरतों के लिए भी पर्याप्त अवकाश नहीं मिल पाता है समाज के बहुत से घरों में ये देखा जा सकता है कि एक गृहणी के पास छोटे बड़े कामों का इतना अधिक बोझ हो जाता है कि पूरा दिन भी उसके लिए कम पड़ जाता है .घर के सभी सदस्य अपने अपने कार्यों में व्यस्त रहते हैं और गृहणी अपनी पीड़ा या अकेलापन किसी के साथ बाँट भी नहीं पाती है..घर वालों के उदासीन और उपेक्षापूर्ण रवैये के कारण ऐसे में कभी कभी महिलाऐं अवसाद और चिडचिडेपन का शिकार भी हो जाती हैं.समाजशास्त्र में स्नातकोत्तर तथा एक एन.जी.ओ. की प्रबंधक कमलजीत कौर का मानना है कि घर पर रहने वाली महिलाऐं सप्ताह के सातों दिन और दिन के चौबीसों घंटे कार्य करती हैं और किसी भी मायने में बाहर निकलने वाली महिलाओं से कम मेहनत नहीं करतीं. घर से बाहर निकल कर काम करने वाली महिलाओं पर भी कुछ कम दबाव नहीं होता .जहाँ घरेलू महिलाऐं अपने तरीके से घर को चला कर तथा पल पल बढ़ते अप्ने बच्चों को देख कर संतोष और सूख अनुभव कर सकती वहीं कामकाजी महिलाऐं छह कर भी ऐसा नहीं कर पाती हैं.अपने कार्यस्थल पर संतोषजनक नतीजे देने के साथ ही उसे पारिवारिक जिम्मेदारियों को भी बेहतर तरीके से निभाना होता है .एक औरत के मन में स्वाभाविक रूप से अपने परिवार के प्रति प्रेम और जिम्मेदारी की भावना होती है लेकिन समाज और परिवार दोनों ही बाहर निकल कर काम करने वाली कामकाजी महिलाओं को उतना जिम्मेदार नहीं समझते. अपनी ममता और कर्तव्य भावना को समाज के सामने प्रमाणित करने के लिए उसे अपनी पूरी शक्ति झोंक देनी पड़ती है साथ ही महिलाओं के वेतन का उपयोग करते हुए परिवार यह जतानानहीं भूलता कि ये सब वे अपनी खुशी और आजादी के लिए कर रही हैं और इसके साथ उन्हें अपनी घरेलू जिम्मेदारियां निभानी ही हैं..अधिक तनाव और श्रम के कारण कभी कभी अनेक प्रकार की शारीरिक और मानसिक परेशानियाँ भी उन्हें घेर लेती हैं . घर पर रहने वाली महिलाऐं हों या बाहर काम करने वाली दोनों को ही अपने अपने तरीके से पारिवारिक दायित्वों का निर्वहन करना होता है .जहाँ घरेलू महिला अपने श्रम द्वारा परिवारीजनों को सुख देती है और उनकी उन्नति में योगदान देती है वहीं कामकाजी महिला आर्थिक सहयोग दे कर पारिवारिक उन्नति में अपना योगदान देती है .समाज के चहुंमुखी विकास के लिए दोनों का ही अपना अलग महत्त्व है.माननीय सुप्रीम कोर्ट ने भी पिछले दिनों एक वक्तव्य में घरेलू महिलाओं कोभी कामगार मान कर मासिक वेतन दिए जाने की वकालत की है ,अन्य किसी के समझने से पहले स्वयं घरेलू महिलाओं को कामकाजी महिलाओं का और कामकाजी महिलाओं को घरेलू महिलाओं का आदर करना सीखना होगा. समाज में स्त्री को यथोचित स्थान दिलाने के लिए स्वयं महिलाओं को ऐसी बातों पर ध्यान देना होगा और वस्तुस्थिति को समझने का प्रयास करना होगा .गोस्वामी जी ने मानस में एक स्थान पर लिखा है "नारि न मोहे नारि के रूपा "अर्थात कोई स्त्री कितनी भी सुन्दर क्यों न हो दूसरी स्त्री कभी उसके रूप पर मोहित नहीं होती है या फिर कहा जा सकता है कि एक नारी के गुणों या क्षमता की दूसरी नारी प्रशंसा नहीं कर सकती.सदियों से परवश अथवा पराधीन होने के कारण अथवा कमोबेश अन्य कारणों से स्त्रियों के भीतर स्वयं को श्रेष्ठ प्रमाणित करने की भावना विकसित हो चुकी है और इसी भावना ने स्वयं नारी जाति का भारी नुकसान किया है .अपनी इस कमी को पहचान कर उससे निज़ात पाना एक सही कदम होगा |
शक्ति और प्रकृति
मेरे बारे में
- pratibha mishra 8574825702
- my name is pratibha,it means inteligence.I believe that one should be hard working.by hard work you can get inteligence and success.
शनिवार, 21 मई 2011
samaj me mahilaon ka sthan
शनिवार, 14 मई 2011
देशनामा: ब्लॉगिंग बेकार बेदाम की चीज़ है...खुशदीप
देशनामा: ब्लॉगिंग बेकार बेदाम की चीज़ है...खुशदी
blogging ke bare me main bhee kuch aiser hee khyal rakhtee hun.
शुक्रवार, 29 अप्रैल 2011
vastuupay
बहुत दिनों से अन्य व्यस्तताओं के कारन ब्लॉग पर समय न दे सकी ,एक प्रश्न कई लोगों द्वारा पूछा गया है की यदि रसोईघर पूर्व या उत्तर पूर्व में बनाया जा चुका है तो क्या करना चाहिए ,सबसे पहले तो ये जान लें की कोई भी वास्तु शास्त्री अनावश्यक तोड़फोड़ का समर्थक नहीं होता है यथा संभव बने हुए मकानों में वास्तु सुधार कर ही सभी काम चलाना बेहतर समझते हैं .
उत्तर पू.र्व में रसोई घर नहीं होना चाहिए ,लेकिन पूर्व दिशा के रसोईघर के लिए अच्छे वास्तु उपाय मौजूद हैंऐसे में रसोईघर का उत्तर पूर्वी क्षेत्र खाली और साफ सुथरा रखें ,गैस रखने का प्लेटफार्म दक्षिण पूर्व में रखें और पूर्व की और मुंह करके गृहणी खाना पकाए.पीने के लिए एवं अन्य कार्यों के लिए पानी पूर्व या उत्तर दिशा में रखें .रसोईघर खुला खुला रहे और आवश्यकतानुसार ही सामान रखें रसोई घर को भण्डार घर या स्टोर रूम की तरह प्रयोग न करें.
दूसरा सवाल ये है की यदि घर के सभी सदस्य बीमार रहने लगें तो क्या कारन हो सकता है ,इसका उत्तर ये है की ऐसी परिस्थतियों का अर्थ यही है की घर में अवश्य ही कोई वास्तु दोष है.
आगे के अंकों में वास्तु जानकारियों सहित फिर उपस्थित होऊँगी नमस्कार.
गुरुवार, 28 अप्रैल 2011
Dadi Maa Ki Kahaniyan: ईश्वर देता है|
Dadi Maa Ki Kahaniyan: ईश्वर देता है|: " बहुत समय पहले की बात है| एक शहर में एक दयालु राजा रहता था| उस के यहाँ रोज दो भिखारी भीख मांगने आया करते थे| उन में एक भिखारी जवा..."
nature is your companion ........kaash ki aajkal ke bachche kampyuter game chhod kar ye kahaniyan padh pate.
nature is your companion ........kaash ki aajkal ke bachche kampyuter game chhod kar ye kahaniyan padh pate.
शुक्रवार, 25 मार्च 2011
vastu tips
घर में लक्ष्मी को कैसे बुलाएँ
घर के दक्षिण और पूर्व में अनिवार्य रूप से तुलसी का पौधा लगायें पूर्व या उत्तर दिशा में मनीप्लांट का पौधा लगायें चाहे तो इसे दोनों और रखें.तिजोरी या अलमारी का दरवाजा उत्तर या पूर्व की और खुलना चाहिए.इसके लिए अलमारी दक्षिण या पश्चिम दीवार से सटा कर रखें घर का उत्तर पूर्वी कोना पुरी तरह से साफ सुथरा और खाली रखना चाहिए.
रिश्तों पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभाव से कैसे बचें
घर में ताजी हवा प्रवेश कर सके इसलिए समय समय पर खिड़कियाँ खोली जाती रहें माकन में प्राकृतिक
वायुसंचार रखने का प्रयास करें आवश्यक होने पर ही मकेनिकल वेंटीलेशन.का प्रयोग करें.घर का हर कोना रोज साफ किया जाये.जमीन पर कारपेट या दरी बिछाने से बचें.खिड़की दरवाजों पर पारदर्शी कांच लगवाएं.
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